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कोरबा / ऑख है तो समझिये सारा जहां आपके पास व साथ है, इसके बगैर इंसान की दुनिया में अंधेरा ही अंधेरा है। कोरबा जिले को मोतियाबिंद दृष्टिहीनता से मुक्त करने के लिए कलेक्टर अजीत वसंत के मार्गदर्शन तथा मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.एस.एन.केशरी के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग का नेत्र चिकित्सा विभाग लगातार प्रयासरत् है।
डॉ. केशरी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी के मौसम में मोतियाबिन्द का ऑपरेशन नहीं कराने की व्याप्त गलत धारणा के कारण केवल सर्दियों में मोतिबिन्द का ऑपरेशन कराया जाता है। उन्होंने बताया कि यह धारणा निराधार है जिससे उपचार में अनावश्यक देरी हो सकती है साथ ही आगे और दृष्टिगत समस्या हो सकती है।
सीएमएचओ ने बताया कि दूर या पास का कम दिखाई देना, गाड़ी ड्राइव करने में समस्या और दूसरे व्यक्ति के चेहरे के भावों को न पढ़ पाना आँखों में मोतियाबिन्द विकसित होने के लक्षण हैं। चश्मे या लेंस से स्पष्ट दिखाई न देेने पर सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है जिसकी सलाह आवश्यकता पड़ने पर नेत्र विशेषज्ञों द्वारा दी जाती है।
डॉ. सुमित गुप्ता, नोडल अधिकारी, राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम ने बताया कि राष्ट्रीय दृष्टिहीनता नियंत्रण कार्यक्रम के तहत् मरीजों का मोतियाबिन्द का ऑपरेशन तथा गुणवत्तापूर्ण दवाई तथा देखभाल करने के साथ ही वनांचल एरिया तथा दुर्गम क्षेत्र के मरीजों को अस्पताल तक लाना शामिल है। इस राष्ट्रीय कार्यक्रम का लाभ लेते हुए ग्राम पोंड़ी उपरोड़ा के 55 ग्रामीण मरीजों ने मोतियाबिंद का ऑपरेशन कराया, जो कि यह दर्शाता है कि लोगों की केवल सर्दियों में ऑपरेषन कराने की धारणा बदल रही है। मोतियाबिन्द की सर्जरी बिल्कुल भी दर्दनाक नहीं होती है। यह लगभग सुरक्षित सर्जरी है और इसकी सफलता की दर काफी अच्छी है।