सरगुजा संभाग

उचित मूल्य के दुकान का कई चक्कर काट थक गए वृद्ध दंपत्ति, मानवता रहित दुकान संचालक का दिल नहीं पसीजा

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सतीश मिश्रा

मनेंद्रगढ-चिरमिरी-भरतपुर/ जिले के विकासखण्ड भरतपुर का एक परिवार ऐसा भी जिसके पास कोई सहारा नहीं कहां जा सकता है उम्र का तकाजा जो जिंदगी की सबसे बड़ी बीमारी है क्योंकि उस उम्र में आने के बाद अपने भरण पोषण के लिए भी हाथ पैर तक काम करना बंद कर देते हैं जिससे जीना बहुत मुश्किल हो जाता है और बस एक आस लगाए बैठे रहते हैं जहां एक तरफ उम्र की मार तो दूसरी ओर पत्नी बीमार कैसे करें जीवन यापन। एक ही परिवार में दो बुजुर्ग संपत्ति।

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मिली जानकारी के अनुसार विकासखंड भरतपुर मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत पूंजी में एक परिवार में दो लोग रहते हैं पति पत्नी दोनों विकलांग की स्थिति में होने के बावजूद इनको अपना जीवन जीने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है एक तरफ तो उम्र का तकाजा और दूसरी तरफ पत्नी की बीमारी से जूझ रहे हैं पति रामनाथ यादव अपनी पत्नी जिनका दिमागी संतुलन ठीक नहीं होने की वजह से पत्नी की चिंता में खोए रहते हैं वहीं रामनाथ यादव अपनी बढ़ती उम्र को लेकर और अपने पैरों से लाचार जहां अब उनके कान में सुनाई भी बहुत कम देता है इस हालत में जीवन यापन करने को मजबूर हो गए हैं जहां शासन की ओर से इनको मुफ्त राशन दिया जाता था उससे भी अब यह दो महीने से ये वंचित है अब दोनों पति-पत्नियों के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है कि अपना जीवन कैसे जिये जो राशन इनको मिलता था अब उससे भी इनको वंचित होना पडा है और लगातार राशन दुकान का चक्कर राशन के लिए लगा रहे हैं,लेकिन संचालक का दिल नहीं पसीज रहा है।
वृद्ध रामनाथ यादव ने बताया कि दो-तीन महीने से सबको राशन दे रहे हैं लेकिन मुझे राशन आज तक नहीं दिया इतनी हताश जिंदगी जीने को मजबूर हैं कि ठीक से रामनाथ यादव किसी के सामने अपनी दुखड़ा सुना भी नहीं पा रहे हैं।
जब उचितमूल्य दुकान संचालक चंद्र प्रताप सिंह से बात हुई तो संचालक द्वारा
रटा रटाया जवाब दिया गया उसका फिंगरप्रिंट ही नहीं लग रहा था, इस वजह से इनको राशन नहीं दिया जा रहा था। शासन ऐसे बुजुर्गों के लिए हर स्तर पर सहयोग कर रही है लेकिन इस प्रकार के दुकानदार चंद पैसे की खातिर ऐसे लोगों को भूखे तड़पने के लिए मजबूर कर देते हैं क्या शासन प्रशासन ऐसे लोगों पर कार्यवाही करके इनको निरस्त करेगी या नहीं यह एक बहुत बड़ा सवाल है।
ग्राम पूँजी की सरपंच बिमला सिंह से बात हुई तो इस मामले को लेकर गांव के सरपंच ने कहा कि मुझे अभी तक पता नहीं रहा है अब पता चला है कि गरीबों को 2 महीने से चावल नहीं मिला है मैं इसकी जांच करवाऊंगी लेकिन सवाल यह उठता है ऐसे जनप्रतिनिधि जिन्हे अपने गांव के हालात का पता नही हो वे कैसे गरीबों के हित बद्ध कार्य करेंगे। उच्चाधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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