बैकुण्ठपुर/ शासकीय रामानुज प्रताप सिंहदेव स्नातकोत्तर महाविद्यालय बैकुण्ठपुर के इनडोर स्टेडियम में प्राचार्य डॉ0 ए0 सी0 गुप्ता के संरक्षण एवं मार्गदर्शन तथा जिला संगठक रासेयो कोरिया प्रो0 एम0 सी0 हिमधर के संयोजन और कार्यक्रम अधिकारी द्वय डॉ0 श्रीमती प्रीति गुप्ता एवं श्री अनुरंजन कुजूर के सह संयोजन में महाविद्यालय का 43 वां स्थापना दिवस एवं वरिष्ठ स्वयं सेवक कृष्णा राजवाड़े एवं तनुप्रिया यादव के नेतृत्व में शिक्षक दिवस समारोह का गरिमामयी आयोजन किया गया।
उक्त समारोह श्रीमती सरोजनी जायसवाल सेवानिवृत्त प्रधान पाठक के मुख्य आतिथ्य, प्राचार्य डॉ0 ए0 सी0 गुप्ता के अध्यक्षता एवं सेवानिवृत्त शिक्षक भानु प्रकाश गुप्ता, बीरबल राजवाड़े, राधेश्याम जायसवाल एवं मिथल प्रसाद कुर्रे के विशिष्ट आतिथ्य में आयोजित हुआ। कार्यक्रम का शुभारम्भ मॉं सरस्वती एवं भारत रत्न सर्वपल्ली डॉ0 एस0 राधाकृष्णन जी के छायाचित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित कर अतिथियों के द्वारा किया गया।
तदुपरांत राजकीय गीत गाया गया। कार्यक्रम के प्रथम चरण में अतिथियों के स्वागत उपरांत स्वागत एवं गुरू वन्दना की प्रस्तुति कु. पूजा पंकज ने दी। स्वागत उद्बोधन महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ0 ए0 सी0 गुप्ता ने दिया और बताया कि- सन् 1983 में मै इस महाविद्यालय में कार्यभार ग्रहण किया तब महाविद्यालय एक कच्चे मिट्टी के छप्पर वाले भवन में बहुत ही सीमित संसाधनों के साथ प्रारम्भ हुआ, जो आज लगातार अधेसरंचना विकास के साथ कला, वाणिज्य एवं विज्ञान में स्नातक तथा 10 विषयों में स्नातकोत्तर की अध्यापन कराने वाले जिले का अग्रणी महाविद्यालय है। जहां लगभग 1600 से अधिक नियमित विद्यार्थी अध्ययनरत है एवं 3500 परीक्षार्थी स्वाध्यायी रूप से शामिल होते है। नैक मूल्यांकन द्वारा इस महाविद्यालय को बी ग्रेड प्राप्त हुआ है। इस महाविद्यालय से पढ़कर निकले विद्यार्थी आज विभिन्न पदों एवं विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर अपने साथ – साथ इस कॉलेज का नाम भी रोशन कर रहे है। तदुपरांत प्राचार्य एवं महाविद्यालय परिवार के द्वारा आमंत्रित पॉचों सेवानिवृत्त शिक्षकों का शाल, श्रीफल एवं प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मान किया गया। उद्बोधन के क्रम विशिष्ट अतिथि मिथल प्रसाद कुर्रे ने कहा कि- शिक्षा जीवन का एक ऐसा साधन है जो जीवन पर्यन्त साथ देती है और हमारा मार्गदर्शन करती है। महाभारत की कहानी सुनाकर गुरू की महत्ता को श्लोक के माध्यम से बताया गया। श्री बीरबल राजवाड़े ने कहा कि माता पिता प्रथम शिक्षक होते है। जिनसे पहली शिक्षा ग्रहण की जाती है। उन्होनें विद्यार्थियों को कहा कि- जीवन में ऐसे दोस्त बनाएं जो आपकी गलतियों एवं कमियों से आपको अवगत कराएं और सही राह दिखाएं। विद्यार्थियों को कड़ी मेहनत करते हुए आगे बढ़ते रहने के लिए शुभकामनाएं दी। श्री राधेश्याम जायसवाल ने कहा कि आप सभी महाविद्यालय के शिक्षकों के मार्गदर्शन पर चले और जो भी समस्याएं आपके जीवन में आए उस पर गुरूजनों का सलाह और मार्गदर्शन अवश्य ले। आगे चलकर समाज एवं राष्ट्र को विभिन्न भूमिका में रहकर आपको ही संभालना है। अंत में मुख्य अतिथि श्रीमती सरोजनी जायसवाल ने कहा कि – सन् 1960 में जब मैने अपने शिक्षकीय जीवन शुरू की थी उस समय बच्चे स्कूल में पढ़ना नहीं चाहते थे, घर-घर जाकर माता- पिता को प्रेरित कर बच्चों को स्कूल में दाखिला कराती थी। आज की शिक्षा में बहुत बदलाव आ गया है। छात्रों से कहा कि- आप देश के धरोहर हैं, जीवन में निराशा मत आने दीजिए, हिम्मत न हारिए, देश को आपकी जरूरत है। प्रथम चरण का संचालन प्रो. एम.सी.हिमधर ने और आभार प्रदर्शन डॉ0 जोशी राम कंवर, विभागाध्यक्ष समाज शास्त्र ने किया। द्वितीय चरण में महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने शिक्षक दिवस मनाते हुए अपने प्राचार्य एवं शिक्षकों का रोली चंदन लगाकर एवं उपहार भेंटकर सभी का सम्मान किया। शिक्षकों के सम्मान में सुप्रिया एवं ग्रुप के द्वारा करमा, संजना ग्रुप के द्वारा आदिवासी नृत्य, साक्षी एवं ग्रुप के द्वारा सम्बलपुरी, चांदनी एवं ग्रुप के द्वारा नगपुरी, सिमरन ग्रुप द्वारा बालीवुड, तनिषा ग्रुप द्वारा छत्तीसगढ़ी, ललिता एवं ग्रुप के द्वारा करमा समूह की रंगारंग प्रस्तुति दी गई। कु. आशु विश्वकर्मा एवं पूजा पंकज के द्वारा एकल गीत की सुन्दर प्रस्तुति दी गई। तदुपरांत सहायक प्राध्यापक डॉ0 श्रीमती प्रीति गुप्ता, डॉ0 गौरव मिश्र, प्रो. एम.सी.हिमधर, श्री भूपेन्द्र सिंह, श्री अनुरंजन कुजूर, डॉ0 श्रीमती अर्चना पाण्डेय, श्रीमती अर्चना द्विवेदी, डॉ0 संदीप सिंह, श्री कुलदीप ओझा ने अपने विचार रखे एवं विद्यार्थियों को अध्यापन एवं बेहतर कैरियर के लिए मार्गदर्शन दिया। अतिथि व्याख्याता श्री शंभू रैदास के द्वारा प्रेरक गीत की प्रस्तुति दी गई। द्वितीय चरण के कार्यक्रम का संचालन कु. संगीता यादव एवं कृष्णा राजवाड़े ने किया एवं आभार प्रदर्शन तनुप्रिया के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक, कार्यालयीन स्टॉफ, छात्र/ छात्राओं की उपस्थिति रही। कार्यक्रम को सफल बनाने में कार्यक्रम सहायक मुख्य लिपिक मो0 आरीफ ढेबर, कृष्णा राजवाड़े, तौफिक खान, धनेश्वर, सुनील, निखिल, अंकित, शशि पोर्ते, महेश, सूरज, सुशील, लव, नीरज, अर्पणा, मुस्कान, खुशबू, सुप्रिया, तनिशा, ललिता, प्रियंका, चांदनी, संजय, रविशंकर, संतोष, राम प्रसाद, चिन्तामणी, पवन का सराहनीय योगदान रहा। इस अवसर पर वरिष्ठ छात्र आकाश सिंह, अनूज साहू भी उपस्थित रहे।