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सुप्रीम कोर्ट ने हसदेव अरण्य मामले में निरस्त किया हाईकोर्ट का फैसला

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रायपुर/नई दिल्ली/ सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य क्षेत्र के परसा ईस्ट केते बासन (पीईकेबी) कोल ब्लॉक में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के फैसले को निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच, जिसमें चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला, और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे, ने हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वह इस याचिका पर एक महीने के भीतर पुनः सुनवाई करे और इसका फैसला गुण-दोष के आधार पर करे।

हसदेव अरण्य के पीईकेबी कोल ब्लॉक को राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम को आवंटित किया गया है, जिसका संचालन अदानी समूह द्वारा किया जा रहा है। इस क्षेत्र में पेड़ों की कटाई को लेकर हसदेव अरण्य संघर्ष समिति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने जंगल के सामुदायिक वन अधिकार क्षेत्र के अवैध रद्दीकरण का आरोप लगाया था।

पहले भी 2022 में इसी मामले में कटाई को लेकर संघर्ष समिति ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन याचिका खारिज हो गई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई, और कोर्ट ने याचिकाकर्ता को वन अनुमति आदेशों को चुनौती देने की अनुमति दी थी। संघर्ष समिति ने इसके बाद छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में संशोधित याचिका दायर की, जिसे 2 मई 2024 को फिर खारिज कर दिया गया।

आज, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस फैसले को निरस्त कर दिया और निर्देश दिया कि याचिका पर एक महीने के भीतर पुनः सुनवाई की जाए। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्र उदय सिंह ने दलीलें पेश कीं। संघर्ष समिति ने लगातार पेड़ों की कटाई का विरोध किया है, उनका कहना है कि यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है और आदिवासी समुदाय की आजीविका से जुड़ा हुआ है।

 

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