रायपुर संभाग

वरिष्ठ पत्रकार गिरीश पंकज को दिया कलेक्टर की पाती और किया मतदान का आग्रह

डॉ. गौरव सिंह आज कलेक्टर की पाती वितरण अभियान में पहॅंुचे वरिष्ठ पत्रकारों के यहां

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रायपुर / जिला निर्वाचन अधिकारी और कलेक्टर गौरव सिंह आज वरिष्ट पत्रकारों के यहां पहुॅचे और मतदान के लिए आग्रह किया। कलेक्टर शनिवार सुबह वरिष्ट पत्रकार एवं सांध्य दैनिक समाचार पत्र छत्तीसगढ़ के प्रधान संपादक श्री सुनील कुमार के घर गए और उन्हे और उनकी पत्नी रेणु महेश्वरी को कलेक्टर की पाती और पीला चावल देकर मतदान का आग्रह किया। सुनील कुमार ने कलेक्टर की इस पहल की सराहना की। वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार गिरीश पंकज के घर भी कलेक्टर श्री सिंह गए और कलेक्टर की पाती और पीला चावल देकर मतदान का आग्रह किया। गिरीश पंकज ने कहा यह सराहनीय पहल है। इस अवसर पर नगर निगम आयुक्त से अविनाश मिश्रा जिला पंचायत सीइओ विश्वदीप जिला कार्यक्रम अधिकारी निशा मिश्रा और अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

लोकतंत्र का महापर्व और पीले चावल : गिरीश पंकज

लोकतंत्र का महापर्व है आम चुनाव। इसे कहा गया है देश का गर्व चुनाव का पर्व । लेकिन लोग घर से निकलें,मतदान करें तब तो उसकी सार्थकता है । इस दृष्टि से इस बार जिला प्रशासन और जिला निर्वाचन अधिकारी ने अभिनव काम किया है, जिसकी जितनी सराहना की जाए कम है। 7 मई को रायपुर लोकसभा क्षेत्र में मतदान होना है। इस हेतु जिला प्रशासन प्राणपण से जुड़ गया है। कलेक्टर ही जिला निर्वाचन अधिकारी होता है इसलिए वर्तमान कलेक्टर डॉक्टर गौरव कुमार सिंह मतदान पर्व को सफल बनाने के लिए युध्दस्तर पर जुट हुए हैं । वह क्षेत्र के कुछ लेखकों, कलाकारों, संगीतकारों सहित विभिन्न वर्गों के लोगों से व्यक्तिगत तौर से मिल रहे हैं और अनुरोध कर रहे हैं कि मतदान अवश्य करें। उन्होंने सभी मतदाताओं से अपील की है कि आपका वोट आपकी ताकत है इसलिए ने संकोच मतदान करें और लोकतंत्र को मजबूत करें । आज दोपहर कलेक्टर महोदय अपने अधिकारियों के साथ मेरे घर पधारे। दो फोटोग्राफर भी थे। उनके साथ एक महिला अधिकारी भी थी । उन्होंने मुझे टीका लगाया, पीले चावल दिए ।कलेक्टर ने बैज लगाया, जिसमें लिखा हुआ है ‘आई एम ए वोटर’। और ‘कलेक्टर की पाती’ दी ।पोस्टकार्ड साइज की पाती पर लिखा हुआ है, “7 मई 2024 रायपुर करेगा मतदान”। पीले चावल देने की परम्परा हमारे यहां सदियों पुरानी है। विवाह के अवसर पर किसी के घर जाकर उन्हें पीले चावल दिए जाते थे ।जिसको दिए जाते थे, उसकी जिम्मेदारी होती थी कि वह समारोह में ज़रूर शामिल हो। कलेक्टर से मैंने कहा कि हम लोग तो वैसे ही भी हर बारमतदान के दिन सबसे पहले मतदान करने के पक्ष में रहते हैं । इस बात पर कलेक्टर महोदय ने प्रसन्नता जाहिर की, फिर बोले, “आपका नाम बहुत सुना था, आज मुलाकात हुई।” मैंने उनके इस अभिनव प्रयास की सराहना की और कहा कि जिस देश में ऐसी प्रशासनिक व्यवस्था मौजूद हो, वहां लोकतंत्र कभी कमजोर नहीं हो सकता। इस बार मतदान के लिए प्रेरित करने हेतु जगह-जगह नुक्कड़ नाटक भी हुए। मतदान की महत्ता पर कवि सम्मेलन में कराए गए। इन सब प्रयासों से ही एक वातावरण बनता है।

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