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भारत की अक्षय ऊर्जा को आगे बढ़ाने पर बड़ी चुनौतियां आएंगी: सीईईडब्ल्यू

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नई दिल्ली / काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के एक नए अध्ययन के अनुसार, भारत की अक्षय ऊर्जा क्षमता 24,000 गीगावॉट से अधिक है, लेकिन 2070 तक 7,000 गीगावॉट के नेट-जीरो लक्ष्य को पाने के लिए भूमि, जल और जलवायु चुनौतियों से निपटना आवश्यक होगा। वर्तमान में भारत की अक्षय ऊर्जा स्थापित क्षमता 150 गीगावॉट है, लेकिन 1,500 गीगावॉट के बाद अधिक जटिल बाधाएं सामने आ सकती हैं, जैसे भूमि सुलभता, जलवायु जोखिम, भूमि संघर्ष, और जनसंख्या घनत्व।

प्रमुख राज्य और चुनौतियां
ओडिशा और मध्य प्रदेश जैसे राज्य भारत की अक्षय ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं के लिए प्रमुख बनकर उभर रहे हैं। हालांकि, इन क्षेत्रों में भूमि और मौसमी परिवर्तनीयता से निपटने के लिए उचित बुनियादी ढांचे की जरूरत है। अध्ययन में राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और लद्दाख को प्रमुख अक्षय ऊर्जा क्षमता वाले राज्य बताया गया है।

ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन
भारत 2050 तक 40 मिलियन टन प्रति वर्ष ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन कर सकता है, लेकिन इसके लिए जल प्रबंधन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। गुजरात, कर्नाटक, और महाराष्ट्र जैसे राज्य इस उत्पादन में प्रमुख योगदान दे सकते हैं।

विशेषज्ञों की राय
सीईईडब्ल्यू के सीईओ डॉ. अरुणाभा घोष ने कहा, “भारत की ऊर्जा यात्रा में कई चुनौतियां हैं, जैसे भूमि संघर्ष और जलवायु परिवर्तन। हमें नवाचार और लचीलेपन के साथ आगे बढ़ना होगा ताकि अक्षय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन की क्षमता को साकार किया जा सके।”

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