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हिंदी है जन जन की भाषा
ग्राम नगर कानन की भाषा
मलिक सूर तुलसी की कृति
ख़ुसरो के सृजन की भाषा
संस्कार में है परिलक्षित
ये अपने जीवन की भाषा
पुष्प पराग तुहिन कणों से
सिंचित ये उपवन की भाषा
महिमा जिसकी विश्वमयी है
प्रेम मयी दर्शन की भाषा
द्वार अनेक नवीन जो खोले
ज्ञान पूरित चिंतन की भाषा
प्रसारित कर दो वसुधा पर
अभिनन्दन वंदन की भाषा
बोलेगा इक दिन ये ताहिर
ये जग तेरे मन की भाषा
ताहिर आज़मी
शिक्षक साहित्यकार बैकुंठपुर