सरगुजा संभाग

डॉ व्यवहारिक और समाजिक दृष्टिकोण भी रखें – डा चंदेल

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मनेन्द्रगढ़/  इस धरती पर भगवान के बाद डाक्टर किसी मरीज के लिए फरिश्ता से कम नहीं होता है। नेशनल डॉक्टर्स डे , उन सभी डा के साथ,अन्य उन चिकित्सकों के प्रति भी सम्मान प्रकट करने का विशेष दिवस है जो अपने सामाजिक सराकोर एवं परमार्थ के लिए समाज में विनम्रता ,मरीजो के सहयोग एवं विशिष्ट सेवाभाव की वजह से अन्य चिकित्सको से विशेष स्थान रखते हैं। घुटरा जैसे आदिवासी वन्यांचल में पदस्थ शासकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय के प्रमुख डा संदीप चंदेल का कहना है कि डा जब समाजिक दृष्टिकोण अपनाते हुए व्यवहारिक रूप से मरीजों की सेवा करता है तो उसे आत्मिक सुख एवं मरीजों की सद्भावना प्राप्त होती है। वे विगत तीन वर्षों से पतंजलि योग समिति के स्वास्थ्य योग शिविर में अब तक सैकड़ो मरीजों को निशुल्क परामर्श एवं चिकित्सा दे चुके हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुके डॉक्टर संदीप चंदेल आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को स्वस्थ रहने का विज्ञान बताते हुए कहते हैं कि हमारे आचार्यों ने आहार -विहार ऋतुचार्य दिनचर्या , रात्रिचर्या ,पथ्य एवं अपथ्य ,आहार विहार एवं सामान्य रोगों के लिए दिशा निर्देश बनाए हैं यदि कोई व्यक्ति इन नियमों का पालन करता है तो वह कभी रोगी हो ही नहीं सकता डॉक्टर संदीप चंदेल नि:सहाय गरीब और जरूरतमंद मरीजों की मददगार डा के रूप में अपनी कर्मभूमि में अलग पहचान बना चुके हैं । उनका कहना है कि हमारा शरीर पांच भौतिक प्राकृतिक चीजों से बना है और इन्हीं पांच भौतिक प्राकृतिक चीजों से हमारी औषधीय बनी होती है इसीलिए कभी भी आयुर्वेदिक औषधियां का दुष्प्रभाव हमारे शरीर पर नहीं पड़ता है। पंचकर्म की त्रिदोष चिकित्सा विशेषज्ञ और औषधि सेवन चिकित्सा , स्वेदन, चिकित्सा ,मानसिक और आध्यात्मिक उपचार के लिए मनेंद्रगढ़ की लोकप्रिय, युवा चिकित्सक प्रिया विश्वकर्मा ,योग एवं प्राणायाम से शारीरिक अक्षमता को दूर करने की पक्षधर हैं। प्रिया विश्वकर्मा, महाराष्ट्र आरोग्य विज्ञान विद्यापीठ नासिक के आयुर्वेद के डा लक्ष्मीकांत शुक्ला के साथ वात, त्वचा ,मूत्र और अन्य बीमारियों पर कार्य कर रही है। देवांग आयुर्वेद संस्थान के संचालक डा लक्ष्मीकांत शुक्ला आयुर्वेद को जीवन का विज्ञान बताते हुए कहते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार केवल बीमारियों से मुक्ति का नाम स्वास्थ्य नहीं है, बल्कि यह शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन की स्थिति है आचार्य सुश्रुत का उदाहरण देते हुए पंचकर्म एवं प्रॉक्टोलॉजिस्ट डॉ लक्ष्मीकांत शुक्ला कहते हैं कि एक चिकित्सक का दायित्व मरीजों को उचित परामर्श एवं चिकित्सा करना है। चिकित्सक को सदा व्यावसायिक दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए बल्कि गंभीर मरीजों को उचित तत्काल उचित परामर्श एवं चिकित्सा देकर उसके जीवन की रक्षा करने का सर्वोपरि लक्ष्य होना चाहिए।

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