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विशेष जनजाति राष्ट्रपति की दत्तक पुत्र कहे जाने वाले एक बैगा परिवार शासन की योजना का लाभ लेने के लिये 2 सालों से विभाग का लगा रहे चक्कर

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सतीश मिश्रा

भरतपुर / राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले एक बैगा परिवार शासन की योजनाओं का लाभ लेने के लिये 2 सालों से विभाग का चक्कर लगाने के बाद भी लाभ नही मिलने से मायूस हो गये है। जिले के भरतपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत शेरी में तेन्दूपत्ता संग्राहक परिवार के मुखिया की मौत के बाद 2 लाख का मुआवजा जारी होने के बाद भी आज तक मृतक की पत्नि को राशि नही मिल पाई है। ऐसा नही है की तेंदूपत्ता वनोपज समिति को मामले की जानकारी नही है लेकिन सब कुछ जानने के बाद भी आश्रितों को लाभ नही मिलना विभाग की निष्क्रिय कार्यप्रणाली को दर्शाता है। शिवप्रसाद पिता बाल्मीक जनकपुर के शेरी ग्राम पंचायत में तेंदूपत्ता संग्राहक का काम करता था। 31 दिसंबर 2021 को इसकी अचानक मौत हो गई।

IMG_20240618_225455-300x182 विशेष जनजाति राष्ट्रपति की दत्तक पुत्र कहे जाने वाले एक बैगा परिवार शासन की योजना का लाभ लेने के लिये 2 सालों से विभाग का लगा रहे चक्कर
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मृत्यु के बाद समिति में नॉमिनी सदस्य इसकी पत्नी मुन्नी के द्वारा तेंदूपत्ता संग्राहय सामाजिक सुरक्षा योजनान्तर्गत अनुदान राशि प्राप्त करने के लिये आवेदन दावा फार्म प्रस्तुत किया गया था जिसके बाद यूनियन स्तरीय तेंदूपत्ता सामाजिक सुरक्षा योजनांतर्गत पात्रता निर्धारण समिति द्वारा प्रकरण क्रमांक 61 वर्ष 2022 के रूप में दर्ज किया गया था। मृतक की आयु 18 से 50 वर्ष के बीच होने के कारण इन्हें अनुदान सहायता के रूप में 2 लाख रुपये प्रदान करने का आदेश जारी किया गया था।
पात्रता निर्धारण समिति द्वारा अपने अनुशंसा पत्रक्रमांक..बी.म.क.बी पात्रता निर्धारण/2022/1234 दिनांक 02.05.2022 द्वारा प्रस्तुत सूची में दावेदार मुन्नी को पति शिवप्रसाद बैगा की मृत्यु के बाद पात्र पाया गया था।
बैगा आदिवासी परिवारों को शासन की योजनाओं का कितना लाभ मिलता है।इसकी बानगी एमसीबी जिले के ग्राम पंचायत शेरी में आसानी से देखने को मिल रही है। 2 लाख रुपये मुआवजा राशि का पत्र मिलने के बाद से मृतक की पत्नी मुन्नी बाई लगातार 2 सालों से राशि पाने के लिये समिति का चक्कर लगा रही है लेकिन विभाग की निष्क्रियता के कारण आज भी उसके हाथ खाली है। अब उसके परिवार के सामने भूखे मरने की नोबत
आ गई है।

पीड़ित महिला ने बताया कि मैं प्रबंधक के पास कई बार गई मरे से चलते नही बनता मेरे से दस हजार मांग रहा है मैं परेशान हो गई हूं इतने दिन से कहता है आज तुम्हारे खाते में डलेगा कल डालेगा मेरे को घूम रहा है जब से कागज आया है तब से मैं प्रबंधक के पास जा रही हूं उसके घर जा रही हूं गरीब मनाई कब तक परेशान होगी मेरा 2 लाख बीमा का आया है नही मिल पा रहा गरीब मनाई कहा से पैसा रुपया पाऊंगी देने के लिये,

जब प्रबंधक बालकरण से बात की बताया एक बार पैसा ये था लेकिन खाता छोटा होने के कारण वापस चला गया फिर बड़ा खाता करके फिर भेजे है । छोटा खाता मतलब पचास हजार से ऊपर खाता नही ले रहा था फिर बड़ा करके भेजे हैं ओर दो साल हो गया है ।

  •  विशेष जनजाति राष्ट्रपति की दत्तक पुत्र कहे जाने वाले एक बैगा परिवार शासन की योजना का लाभ लेने के लिये 2 सालों से विभाग का लगा रहे चक्कर

अब देखना होगा कि विभाग गरीब वेवा महिला को कब तक उसकी राशि देता है या फिर इसी तरह चक्कर लगाती अपनी चप्पल घिसती रह जायेगी।

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